वफ़ा का फिर सिला धोखा रहा है
बस अपना तो यही किस्सा रहा है
उन्ही जालों में खुद ही फंस गया अब
जिन्हें रिश्तों से दिल बुनता रहा है
समेटूं जीस्त के सपने नज़र में
मेरा अस्तित्व तो बिखरा रहा है
बुझी आँखों में जुगनू टिमटिमाये
कोई भूला हुआ याद आ रहा है
ख्यालों में तेरे खोया है इतना
नदीश हर भीड़ में तनहा रहा है
चित्र साभार- गूगल
भावुक अहसासों से सजी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया
हटाएंबुझी आँखों में जुगनू टिमटिमाये
जवाब देंहटाएंकोई भूला हुआ याद आ रहा है ..
क्या बात ... जिंदाबाद ... भूले हुए की याद ही जुगनू है ....
आभार आदरणीय
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंBeautiful lines
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंसुंदर रचना 👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंउन्ही जालों में खुद ही फंस गया अब
जवाब देंहटाएंजिन्हें रिश्तों से दिल बुनता रहा है
लाजवाब हर शेर कुछ कहता है ।
हार्दिक आभार आपका
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