जब से ऐ दर्द तुझसे *शनासाई बढ़ गई
चेहरे की मेरे तब से ही *रानाई बढ़ गई
आंसू बहुत ही खर्च हुये ख़ातिर-ए-वफ़ा
दुनिया में यारों कितनी मंहगाई बढ़ गई
लम्हें, महीने, घंटे, दिन, ये साल ओ' सदी
तन्हाईयों से आगे भी तन्हाई बढ़ गई
आने लगे हैं ख़्वाब में, अब रंग सौ नज़र
जब से बसे हो आँख में, बीनाई बढ़ गई
उड़ते रहे कपूर की तरह, ये सुख नदीश
पर्वत की तरह दर्द की, वो राई बढ़ गई
शनासाई- जान-पहचान, परिचय
रानाई- सौंदर्य, चमक
बीनाई- दृष्टि, विज़न
चित्र साभार-गूगल
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरूवार 21 नवंबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका
हटाएंवाह बेहतरीन 👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंबेहद उम्दा....
जवाब देंहटाएंआपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है|
https://hindikavitamanch.blogspot.com/2019/11/I-Love-You.html
बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२३ -११ -२०१९ ) को "बहुत अटपटा मेल"(चर्चा अंक- ३५२८) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत बहुत आभार आपका
हटाएंबेहद उम्दा गज़ल ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआंसू बहुत ही खर्च हुये ख़ातिर-ए-वफ़ा
जवाब देंहटाएंदुनिया में यारों कितनी मंहगाई बढ़ गई
बेहद उम्दा... लाजवाब ग़ज़ल.
बहुत बहुत आभार आपका
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