मिरे वज़ूद को दिल का जो घर दिया तूने
इश्क़ की राह को आसान कर दिया तूने
ख़लिश मैं ओस की महसूस करूं फूलों में
दिल के एहसास को कैसा असर दिया तूने
रहेगी याद ये सौग़ात उम्र भर तेरी
सिर्फ़ आंसू ही सही कुछ मगर दिया तूने
न कोई नक्स-ए-पा है न कोई मंजिल के निशां
मेरी हयात को ये रहगुज़र दिया तूने
ख़ुद अपने घर में ही मेहमान हो गया है नदीश
मेरे एहसास को ऐसा सफ़र दिया तूने
चित्र साभार-गूगल
बहुत खूब ... हर शेर जिंदादिल ...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंख़लिश मैं ओस की महसूस करूं फूलों में
जवाब देंहटाएंदिल के एहसास को कैसा असर दिया तूने।
Wahhhh। बहुत ही ख़ूब
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंग़ज़ल में एहसासों की नजाकत भर दी है आपने लोकेश जी। बेहतरीन ग़ज़ल। बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबेहतरीन शेर हैं ... बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल बुनी है ...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
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