टूटा मेरी वफ़ा का भरम देखते देखते
झूठे हुए वादा ओ कसम देखते देखते
किस तरह बदलते हैं अपना कहने वाले लोग
जीते हैं तमाशा ये हम देखते देखते
चर्चा रस्मो-रवायत का अब करें किससे भला
बदला है किस तरह से अदम देखते देखते
होते हैं रोज़ मोज़िजा कैसे कैसे प्यार में
खुशियाँ बनने लगी हैं अलम देखते देखते
इक बार जो आई नदीश लब पे तबस्सुम
बढ़ते गए ज़िन्दगी के सितम देखते देखते
चित्र साभार- गूगल
बहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब शेर हैं सभी इस ग़ज़ल के ..।
आभार आदरणीय
हटाएंवाआआह बहुत ही उम्दा गजल ....
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंखूबसूरत!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंचर्चा रस्मो-रवायत का अब करें किससे भला
जवाब देंहटाएंबदला है किस तरह से अदम देखते देखते
लाजवाब.....आदरणीय नदीश जी।
बहुत बहुत आभार
हटाएंवाह !!! बेहद शानदार ....लाजवाब !!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंवाह बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह ! बेहतरीन आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर