तुम न होगे तो यूँ भी क्या हो जाएगा
कुछ नए ज़ख्मों से राब्ता हो जाएगा
उसको भी तासीरे-उल्फ़त देगी बदल
बेवफ़ा हो तो बावफ़ा हो जाएगा
सीख ली उसने मौसम की अदा
हँसते-हँसते ही वो खफ़ा हो जाएगा
चाहतें अपनी हमने तो कर दी निसार
क्या पता था वो बेवफ़ा हो जाएगा
दर्द मिलते रहें तो न घबरा ऐ दिल
दर्द भी तो कभी दवा हो जाएगा
आप कहें तो कभी मुझको अपना नदीश
दिल क्या ईमान भी आपका हो जाएगा
चित्र साभार- गूगल
जवाब देंहटाएंतुम न होगे तो यूँ भी क्या हो जाएगा
कुछ नए ज़ख्मों से राब्ता हो जाएगा
उसको भी तसीरे-उल्फ़त देगी बदल
बेवफ़ा हो तो बावफ़ा हो जाएगा....
बेहतरीन गजल आदरणीय लोकेश जी।
आभार आदरणीय
हटाएंबहुत खूबसूरत उम्दा रचना।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवाह्ह्ह....बेहद शानदार गज़ल लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंभावों का संप्रेषण सहज और सरल तरीके से आपको खूब.आता है।
आभार श्वेता जी
हटाएंदर्द भी तो कभी दवा हो जाएगा ....... बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 1 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंतुम न होगे तो यूँ भी क्या हो जाएगा
जवाब देंहटाएंकुछ नए ज़ख्मों से राब्ता हो जाएगा
उसको भी तासीरे-उल्फ़त देगी बदल
बेवफ़ा हो तो बावफ़ा हो जाएगा!!!!!!!!!!
बहुत ही नाजुक आशारात आदरणीय लोकेश जी और आत्मा से निकले भाव हृदयस्पर्शी हैं | हार्दिक शुभकामनाये इस उम्दा लेखन के लिए | सादर --
हार्दिक आभार आपका
हटाएंबेहतरीन गजल आदरणीय 👌
जवाब देंहटाएं'तुम न होगे तो यूँ भी क्या हो जाएगा
जवाब देंहटाएंकुछ नए ज़ख्मों से राब्ता हो जाएगा'
मन को छू ये पंक्तियाँँ........,