इन्कार नहीं होता इकरार नहीं होता
कुछ भी तो यहाँ दिल के अनुसार नहीं होता
लेगी मेरी मोहब्बत अंगड़ाई तेरे दिल में
कोई भी मोहब्बत से बेज़ार नहीं होता
अब शोख़ अदाओं का जादू भी चले दिल पर
ऐसे तो दिलबरों का सत्कार नहीं होता
कैसे भुला दूँ, तुझसे, मंज़र वो बिछड़ने का
एहसास ज़िन्दगी का हर बार नहीं होता
सुनकर सदायें दिल की फ़ौरन ही चले आना
अब और नदीश हमसे इसरार नहीं होता
चित्र साभार- गूगल
सुनकर सदायें दिल की फ़ौरन ही चले आना
जवाब देंहटाएंअब और नदीश हमसे इसरार नहीं होता
👌👌👌superb Ghazals
आभार आदरणीय
हटाएंबहुत रोचक ..उम्दा रचना भाईसाहब ..!!
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंखूबसूरत गजल सुंदर अतिसुन्दर।
जवाब देंहटाएंशुभ दिवस।
आभार आदरणीय
हटाएंबहुत लाजवाब गक्ज़ल .. जानदार शेर ...
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंBahut sundar gazal.
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय सर
हटाएंवाह्ह्ह...लाज़वाब गज़ल लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब👌
धन्यवाद श्वेता जी
हटाएंवाह ! लाजवाब !! एक से बढ़कर एक शेर ! बहुत खूब आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर
हटाएंउम्दा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
आभार आदरणीया
हटाएंलाजवाब गजल
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आभार आदरणीया
हटाएंबहुत बढिया..
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंकैसे भुला दूँ, तुझसे, मंज़र वो बिछड़ने का
जवाब देंहटाएंएहसास ज़िन्दगी का हर बार नहीं होता।
वाह, बेहतरीन रचना
आभार आदरणीया
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