न मिले चाहे सुकूं तेरी नज़र से
बारहा गुजरेंगे पर उस रहगुज़र से
जिसके होंठो पे तबस्सुम की घटा है
आज पी ली है उसी के चश्मे-तर से
आपने समझा दिया मतलब वफ़ा का
आह उट्ठी है मेरे टूटे ज़िगर से
ग़मज़दा एहसास हैं, तन्हाइयां है
लौट आये हैं मुहब्बत के सफ़र से
आजमा कर दोस्तों को जा रहे हैं
हम लिए तबियत बुझी, जलते शहर से
थाम लेगा लग्ज़िश में हाथ मेरा
है नदीश उम्मीद मेरी, हमसफ़र से
चित्र साभार- गूगल
वाह्ह्ह....शानदार गज़ल लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंएक सुझाव है कृपया कठिन उर्दू शब्दों के अर्थ लिख दीजिए ताकि आम पाठक आपकी खूबसूरत गज़ल का मतलब आसानी से समझ सकें।
आभार श्वेता जी
हटाएंलौट आए हैं मुहब्बत के सफ़र से ...
जवाब देंहटाएंबहुत हाई लाजवाब शेर ग़ज़ल का ...
आभार आदरणीय
हटाएंउम्दा गजल ।
जवाब देंहटाएंउम्मीद पर जीने से हासिल कुछ नही लेकिन
अहा यूं भी क्या दिल को जीने का सहारा न दें।
आभार आदरणीया
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंAti sundar ....
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक ने हटा दिया है.
हटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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