ग़र मेरे एहसास कुछ नहीं
तो फिर मेरे पास कुछ नहीं
आँखों में ये आँसू तो हैं
हाँ कहने को खास कुछ नहीं
कितने रिश्ते-नाते मेरे
होने का आभास कुछ नहीं
ज़िन्दा जो मेरी सांसों से
उससे भी अब आस कुछ नहीं
अब नदीश मिलने आये हो
ज़िस्म बचा है सांस कुछ नहीं
चित्र साभार- गूगल
बहुत सुंदर लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंजी बहुत उम्दा लेखन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंवाह बहुत सही,
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएंवाह्ह्ह..जानदार गज़ल👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंआँखों में ये आँसू तो हैं
जवाब देंहटाएंहाँ कहने को खास कुछ नहीं वाह शानदार 👌
हार्दिक आभार आपका
हटाएंलाजवाब ग़ज़ल ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत बढ़िया गजल,लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
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