शबे-वस्ल तेरी हया का कमाल था
सुबह देखा तो आसमां भी लाल था
कटे हैं यूँ हर पल ज़िन्दगी के अपने
नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था
जवाब देते अहले-जहां को, तो क्या
तुझी से बावस्ता हर एक सवाल था
चमकता है जो मेरी आँखों में अब भी
वो रूहानी पल जो लम्हा-ए-विसाल था
कटे ज़िन्दगी इस तरह कि कहें सब
नदीश सच में जैसा भी था बस कमाल था
चित्र साभार- गूगल
वाह!! लाज़बाब!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंआदरणीय लोकेश जी -- कमाल है इस बवाल में | कोमल भावों से सजे सभी शेर बहुत प्यारे हैं | सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंवाह्हह...कमाल बहुत खूब....शनदार ग़ज़ल लोकेश जी👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंनदीश सच में कमाल है ... महावन शेर सभी ... बवाल
जवाब देंहटाएंमचाते हुए जिगर में ...
बहुत बहुत आभार
हटाएंवाह खुबसूरत बवाल
जवाब देंहटाएंआप की शायरी में डुब कर ,,कर गये कमाल.. सुंदर लयबद्ध रचना।
बहुत बहुत आभार
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंलाजवाब गजल
जवाब देंहटाएंसुन्दर बवाल....
वाह!!!
बहुत बहुत आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार
हटाएंलाज़वाब रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
बहुत बहुत आभार
हटाएंनदीश जी सच्च में आप कमाल हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंजी लाजवाब उम्दा कलाम।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंकमाल की रचना
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