धुंधला-धुंधला अक़्स ख़ुशी कम दिखती है
ये आँखें जब आईने में नम दिखती है
आ तो गया हमको ग़मों से निभाना लेकिन
हमसे अब हर खुशी बरहम दिखती है
आँखों में चुभ जाते हैं ख़्वाबों के टुकड़े
नींदों में बेचैनी सी हरदम दिखती है
आसमान कितना रोया है तुम क्या जानों
तुमको तो फूलों पे बस शबनम दिखती है
दिल तो टूटा है नदीश का माना लेकिन
जाने-ग़ज़ल मेरी तू क्यों पुरनम दिखती है
चित्र साभार-गूगल
बहुत खूबसूरत रचना👏👏👏👏
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवाह बहुत ही खूबसूरत पुरनम गजल।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंवाह वाह .
जवाब देंहटाएं.लफ्जों मैं अहसास भरा है
गजल बड़ी रूहानी दिखती है
आभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुंदर गजल
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंभावप्रवण गजल
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंदिल को छूती दर्द भरी सुंदर प्रस्तूति।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंवाह !! बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंसादर
आभार आपका
हटाएंबेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 14 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1308 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत आभार आदरणीय
हटाएंबेहतरीन लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंशब्द.शब्द एहसास भरा..भावपूर्ण सराहनीय सृजन लोकेश जी..वाहह👌
जवाब देंहटाएंआभार आपका
हटाएंबेहतरीन गजल...
जवाब देंहटाएंआभार आपका
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जवाब देंहटाएंआँखों में चुभ जाते हैं ख़्वाबों के टुकड़े
नींदों में बेचैनी सी हरदम दिखती है
.....बहुत खूब.....लाजवाब
बहुत बहुत आभार आपका
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