दिल की हर बात मैं कहूँ किसको
अपने हालात मैं कहूँ किसको
मैंने खोया तो पा लिया दिल ने
जीत कर मात मैं कहूँ किसको
अश्क़ भी याद भी है, ग़म भी है
इनमें सौगात मैं कहूँ किसको
अब्र के साथ आँख भी बरसे
अबके बरसात मैं कहूँ किसको
तुम नहीं तो नहीं है रंग कोई
दिन किसे रात मैं कहूँ किसको
ज़िस्म बेदिल 'नदीश' सबके यहाँ
अपने जज़्बात मैं कहूँ किसको
अतिसुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.....
बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/58.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंदिन और रात किसे कहूँ ...
जवाब देंहटाएंकमाल के शेर है सभी ...
बहुत बहुत आभार
हटाएंख़ूबसूरत जज़्बात बयां करती बेहतरीन ग़ज़ल नदीश जी. बधाई एवं शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंअश्क़ भी याद भी है, ग़म भी है
जवाब देंहटाएंइनमें सौगात मैं कहूँ किसको
भावों से सजी रचना 🙏
अश्क़ भी याद भी है, ग़म भी है
जवाब देंहटाएंइनमें सौगात मैं कहूँ किसको
वाह लाजबाव गजल 👌
लोकेश जी अति सुंदर।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ग़ज़ल नदीश जी..
जवाब देंहटाएंबेमिसाल, सुंदर जज्बातों को उकेरती रचना लोकेश जी ।
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