अपनी आँखों के आईने में संवर जाने दे
मुझे समेट ले आकर या बिखर जाने दे
मेरी नहीं है तो ये कह दे ज़िन्दगी मुझसे
चंद सांसें करूँगा क्या मुझे मर जाने दे
दर्द ही दर्द की दवा है लोग कहते हैं
दर्द कोई नया ज़िगर से गुज़र जाने दे
यूँ नहीं होता है इसरार से हमराह कोई
गुज़र जायेगा तन्हा ये सफ़र जाने दे
नदीश आयेगा कभी तो हमसफ़र तेरा
जहां भी जाये मुंतज़िर ये नज़र जाने दे
चित्र साभार- गूगल
इसरार- आग्रह
मुंतज़िर- प्रतीक्षारत
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १५ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार
हटाएंNice lines!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब शेर ग़ज़ल के ...
बहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत ही प्यारे और गुनगनाने लायक शेर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंख़ूबसूरत... बेहतरीन... हरेक शेर उम्दा👌👌👌👏👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंवाह बहुत सुंदर गजल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबेहतरीन उम्दा लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंदर्द ही दर्द की दवा है लोग कहते हैं
जवाब देंहटाएंदर्द कोई नया ज़िगर से गुज़र जाने दे
लाजवाब गजल.....
वाह!!!
हार्दिक आभार आपका
हटाएंलाजवाब रचना 👌👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबेहतरीन उन्वान ....
जवाब देंहटाएंदर्द की बारिश है जरा आहिस्ता चल
अभी मिट्टी है नम जरा आहिस्ता चल !
हार्दिक आभार आपका
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