ख़्वाब की तरह से आँखों में छिपाये रखना
हमको दुनिया की निगाहों से बचाये रखना
बिखर न जाऊँ कहीं टूट के आंसू की तरह
मेरे वजूद को पलकों पे उठाये रखना
तल्ख़ एहसास से महफ़ूज रखेगी तुझको
मेरी तस्वीर को सीने से लगाये रखना
ग़ज़ल नहीं, है ये आइना-ए- हयात मेरी
अक़्स जब भी देखना एहसास जगाये रखना
ग़मों के साथ मोहब्बत, है ये आसान नदीश
ख़ुशी की ख्वाहिशों से खुद को बचाये रखना
चित्र साभार- गूगल
तल्ख़- कड़वा
आईना-ए-हयात- जीवन दर्पण
ग़ज़ल नहीं, है ये आइना-ए- हयात मेरी
जवाब देंहटाएंअक़्स जब भी देखना एहसास जगाये रखना
बेहद उम्दा लाज़वाब ग़ज़ल लोकेश जी....👌👌👌👌👌
हर शेर बेहतरीन है....वाह्ह्ह
बहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १३ जुलाई २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंबेहतरीन गजल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुंदर उम्दा गजल जिंदगी का आईना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबिखर न जाऊँ कहीं टूट के आंसू की तरह
मेरे वजूद को पलकों पे उठाये रखना
बहुत बहुत आभार आदरणीया
हटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका
हटाएंबहुत जी लाजवाब ग़ज़ल ... दमदार शेर ...
जवाब देंहटाएंबेहद शुक्रिया
हटाएं