तीन मुक्तक
उदास-उदास सा है ज़िन्दगी का मौसम
नहीं आया, हुई मुद्दत खुशी का मौसम
दिल को बेचैन किये रहता है नदीश सदा
याद रह जाता है कभी-कभी का मौसम
***
उदास-उदास सा है ज़िन्दगी का मौसम
नहीं आया, हुई मुद्दत खुशी का मौसम
दिल को बेचैन किये रहता है नदीश सदा
याद रह जाता है कभी-कभी का मौसम
***
प्यार की रोशनी से माहताब दिल हुआ
तेरी एक निगाह से बेताब दिल हुआ
हज़ार गुल दिल मे ख़्वाबों के खिल गए
तेरी नज़दीकियों से शादाब दिल हुआ
***
पल-पल बोझल था मगर कट गई रात
सहर के उजालों में सिमट गई रात
डरा रही थी अंधेरे के जोर पर मुझे
जला जो दिले-नदीश तो छंट गई रात
***
चित्र साभार- गूगल
शादाब- खुशियों भरा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/08/84.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
हटाएंबहुत उम्दा लोकेश जी !
जवाब देंहटाएंआपकी गजल नज्म और अब मुक्तक सभी लाजवाब सदा प्रवाह लिये सुंदर रचनाऐं
हार्दिक आभार आपका
हटाएंLajwab 👌👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंडरा रही थी अंधेरे के जोर पर मुझे
जवाब देंहटाएंजला जो दिले-नदीश तो छंट गई रात--
आदरणीय लोकेश जी - दिल जला कर रौशनी करने का जज्बा - इश्क में बहुत खूब है | बहुत प्यारी से रचना - हमेशा की तरह | सादर --
हार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंदिल को बेचैन किये रहता है नदीश सदा
जवाब देंहटाएंयाद रह जाता है कभी-कभी का मौसम...
क्या खूब ।।।।। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय लोकेश जी।
प्यार की रोशनी से माहताब दिल हुआ
जवाब देंहटाएंतेरी एक निगाह से बेताब दिल हुआ
हज़ार गुल दिल मे ख़्वाबों के खिल गए
तेरी नज़दीकियों से शादाब दिल हुआ.... बहुत ख़ूब