ये करिश्मा मोहब्बत में होते देखा
लब पे हँसी आँख को रोते देखा
गुजरे है मंज़र भी अजब आँखों से
साहिल को कश्तियां डुबोते देखा
गुजरे है मंज़र भी अजब आँखों से
साहिल को कश्तियां डुबोते देखा
* * *
पानी से है बिल्कुल खाली सूरत
लोग लिये फिरते हैं जाली सूरत
खाते हैं अक्सर फ़रेब चेहरे से
देखकर सब ये भोली-भाली सूरत
* * *
तेरे ही साथ को साँसों का साथ कहता हूँ
तुझी को मैं, तुझी को कायनात कहता हूँ
तेरी पनाह में गुजरे जो चंद पल मेरे
बस उन्हीं लम्हों को सारी हयात कहता हूँ
तुझी को मैं, तुझी को कायनात कहता हूँ
तेरी पनाह में गुजरे जो चंद पल मेरे
बस उन्हीं लम्हों को सारी हयात कहता हूँ
* * *
चित्र साभार- गूगल
हयात-जीवन
कायनात- दुनिया
बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब मुक्तक हैं सभी ...
हार्दिक आभार आपका
हटाएंवाह्हह... वाह्हह... लाज़वाब..शानदार मुक्तक 👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
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जवाब देंहटाएंपानी से है बिल्कुल खाली सूरत
लोग लिये फिरते हैं जाली सूरत
खाते हैं अक्सर फ़रेब चेहरे से
देखकर सब ये भोली-भाली सूरत
बहुत ही गूढ बात कह दी है आपने
अति उत्तम
हार्दिक आभार आपका
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंगुजरे है मंज़र भी अजब आँखों से
जवाब देंहटाएंसाहिल को कश्तियां डुबोते देखा... सुन्दर
हार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत सुंदर रचना, लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका
हटाएंबहुत खूब..👌👌👌 आदरणीय !
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत मुक्तक...
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