कई दिन से चुप तेरी यादों के पंछी
फिर सहन-ए-दिल में चहकने लगे हैं
ख़्वाबों के मौसम भी आकर हमारी
आँखों में फिर से महकने लगे हैं
उमंगों की सूखी नदी के किनारे
आशाओं की नाव टूटी पड़ी है
तपती हुई रेत में ज़िन्दगी की
हमारी उम्मीदों की बस्ती खड़ी है
ज़मीं देखकर दिल की तपती हुई ये
अश्क़ों के बादल बरसने लगे हैं
हर एक शाम तन्हाइयों में हमारी
मौसम तुम्हारी ही यादें जगाये
तुम्हारे ख्यालों की रिमझिम सी बारिश
मुहब्बत का मुरझाया गुलशन सजाये
पाकर के अपने ख्यालों में तुमको
अरमान दिल के मचलने लगे हैं
ज़ेहन में तो बस तुम ही तुम हो हमारे
मगर दिल को अब तुमसे निस्बत नहीं है
तुम्हें चाहते हैं बहुत अब भी लेकिन
है सच अब तुम्हारी जरूरत नहीं है
भुला दें तुम्हें या न भूलें तुम्हें हम
खुद से ही खुद अब उलझने लगे हैं
चित्र साभार- गूगल
भुला दें तुम्हें या न भूलें तुम्हें हम
जवाब देंहटाएंखुद से ही खुद अब उलझने लगे हैं.....बहुत खूब!!!
आपका हार्दिक आभार
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २७ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आपका हार्दिक आभार आदरणीया
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंबेहद उम्दा भावों की अभिव्यक्ति । लाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंThanks for sharing such a wonderful lines best online book publisher in India
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंज़मीं देखकर दिल की तपती हुई ये
जवाब देंहटाएंअश्क़ों के बादल बरसने लगे हैं......वाह ......बहुत खूब
आपका हार्दिक आभार
हटाएंबेहतरीन पंक्तियां
जवाब देंहटाएंआदमी उलझन से पार पाए क्यों
खैरियत से न सही,मौत को गले लगाए क्यों
आपका हार्दिक आभार
हटाएंतुम्हें चाहते हैं बहुत अब भी लेकिन
जवाब देंहटाएंहै सच अब तुम्हारी जरूरत नहीं है
भुला दें तुम्हें या न भूलें तुम्हें हम
खुद से ही खुद अब उलझने लगे हैं
वाह!!!!
बहुत लाजवाब....
आपका हार्दिक आभार
हटाएंसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंवाह बहुत खूब उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार
हटाएंकई दिन से चुप तेरी यादों के पंछी
जवाब देंहटाएंफिर सहन-ए-दिल में चहकने लगे हैं
ख़्वाबों के मौसम भी आकर हमारी
आँखों में फिर से महकने लगे हैं!!!!!!
वाह और सिर्फ वाह आदरणीय लोकेश जी | इसके सिवाय कोई शब्द नहीं सूझ रहा | अत्यंत सादगी से मन की बात कहती रचना बहुत मनभावन और मर्मस्पर्शी है | हार्दिक बधाई आपको |